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this Diwali

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#LifeChangingBookOnDiwali इस दिवाली पर अपने अध्यात्म ज्ञान की वृद्धि करने के लिए पढ़ें अनमोल पवित्र अध्यात्मिक पुस्तक "ज्ञान गंगा"

festival Janmastami

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वर्ष के अगस्त या सितम्बर महिने में, श्री कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी, भारत समेत अन्य देशों में मनाया जाता है। यह एक आध्यात्मिक उत्सव तथा हिंदुओं के आस्था का प्रतीक है। इस त्योहार को दो दिन मनाया जाता हैं। श्री कृष्ण के भजन कीर्तन और गीतों के माध्यम से उनका आचरण और कहानियां विश्व विख्यात हो गई है। इस कारणवश श्री कृष्ण के जन्म दिवस को उत्सव के रूप में विश्व भर में मनाया जाता है। यह सनातन धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, अतः इस दिवस पर अनेक लोगों द्वारा उपवास भी रखा जाता है। जन्माष्टमी  सत भक्ति करने से ही लाभ मिलेगा जैसे कि गीता जी में कहां है मनमाना करने से कोई लाभ नहीं इसी प्रकार तत्वदर्शी संत के बारे में लिखा है तो तत्व दर्शन संत रामपाल जी महाराज है अधिक जानकारी के लिए देखें साधना चैनल 7:30 से 8:30 तक #जन्माष्टमी -श्री कृष्णा जी पूर्ण परमात्मा नहीं हैं पूरण परमात्मा के बारे में बताया है कि जो तत्वदर्शी संत हो उसकी खोज करो जो जन्म और मरण से छुटकारा दिला सकता है वो तत्व दर्शीसंत रामपाल जी महाराज है  उन्ही की सरण शरण में जाने को कहा है श्री जी कृष्ण ने

गुरु के बिना मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है

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क्या जीव का गुरु बिना मोक्ष हो सकता है? क्या मा बिना बालक पैदा हो सकता है क्या असम्भव ठीक उसी प्रकार    गुरु बिना मोक्ष मुश्किल है जैसे हमे बचपन से पड़ाया जाता है पहली से लेकर  फिर हम १० का एग्जाम पास कर पाते है आखिरकार एक भौतिक एग्जाम को पास करने के लिए अनेकों टीचर और सर की आवश्यकता हुए तो क्या मोक्ष एक मामूली चीज है क्या जी नहीं एक बीमार व्यक्ति को जिस प्रकार कहीं प्रकार के ट्रीटमेंट से गुजरना पड़ता है ठीक होने के लिए उसी प्रकार मोकछ प्राप्त करने के लिए एक प्रामाणिक गुरु जिसने अपने जीवन में अध्यात्म से महत्व किसी भी चीज को न दिया हो। जिसने सिर्फ अपना जीवन विश्व कल्याण के लिए समर्पित कर दिया हो । मात्र वहीं ही एक ऐसा तेज जीव ही भगवन के चिर स्थाई धाम को प्राप्त कर सकता है। उसे है मोक्ष कहा गया है। गुरु का अर्थ होता है जो अज्ञान के अन्धकार को दूर कर के ज्ञान से और ज्ञान भी ऐसा जिससे विश्व कल्याण किया का सके ना की पशु के समान भोग। गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष। गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मैटैं न दोष।।     ।। हिन्दी मे इसके अर्थ ।। कब...

Shivratri

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महाशिवरात्रि व्रत अध्‍यात्‍म से जुड़े लोगों के लिए अलग-अलग मायने रखता है। यह व्रत सांसारिक सुख-भोग की महत्‍वाकांक्षा रखने वाले और गृहस्‍थ जीवन बिताने वाले सभी के लिए महत्‍वपूर्ण माना जाता है। गृहस्‍थ आश्रम के लोग महाशिवरात्रि के व्रत को भगवान शिव और माता पार्वती की वैवाहिक वर्षगांठ के रूप में मनाते हैं। वहीं सिद्ध साधना करने वाले इसे शत्रु पर जीत के रूप में देखते हैं। संतों और नागाओं के लिए शिवजी प्रथम गुरु और आदि गुरु हैं। महाशिवरात्रि का व्रत शिवभक्‍त अपने-अपने तरीके से रखते हैं। गीता अध्याय 8 श्लोक 13 में गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) कह रहा है कि - ओम् इति एकाक्षरम् ब्रह्म, व्याहरन् माम् अनुस्मरन्, भावार्थ है कि श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत् प्रवेश करके ब्रह्म/काल कह रहा है कि मुझ ब्रह्म की साधना केवल एक ओम् नाम से मृत्यु पर्यन्त करने वाले साधक को मुझ से मिलने वाला लाभ प्राप्त होता है, अन्य कोई मन्त्र मेरी भक्ति का नहीं है। वास्तविक गायत्री मंत्र -  यजुर्वेद अध्याय 36 मंत्र 3 में कहीं भी ॐ नहीं लिखा है। ये अज्ञानी संतो की अपनी सोच से लगाया गया है। यह मंत...

रक्षाबन्धन

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रक्षाबन्धन एक हिन्दू व जैन त्योहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं।[1] रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है।रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। रक्षाबंधन के दिन बाजार मे कई सारे उपहार बिकते है, उपहार और नए कपड़े खरीदने के लिए बाज़ार मे लोगों की सुबह से शाम तक भीड होती है। घर मे मेहमानों का आना जाना रहता है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के...

जगन्नाथ

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जगन्नाथ का मंदिर समुद्र द्वारा बार बार नष्ट करने के कारण इन्द्रदमन राजा का खजाना खत्म हो गया था। अंतिम बार रानी के गहने बेचकर बेचकर मन्दिर का निर्माण किया। लेकिन परमात्मा कबीर जी ने ही समुद्र को मन्दिर तोड़ने से बचाया था। जगन्नाथ का मंदिर हिन्दुस्तान का एक ही मन्दिर ऐसा है  जिसमें प्रारम्भ से ही छुआ-छात नहीं रही है। जगन्नाथ का मंदिर समुद्र द्वारा बार बार नष्ट कर दिया जाता था। परमात्मा कबीर जी ने ही समुद्र को मन्दिर तोड़ने से रोका था। एक बार  कबीर परमेश्वर जी वीर सिंह बघेल के दरबार में चर्चा कर रहे थे। अचानक से परमात्मा ने खड़ा होकर अपने लोटे का जल अपने पैर के ऊपर डालना प्रारम्भ कर दिया। सिकंदर ने पूछा प्रभु! यह क्या किया, कारण बताईये। कबीर जी ने कहा कि पुरी में जगन्नाथ के मन्दिर में एक रामसहाय नाम का पाण्डा पुजारी है। वह भगवान का खिचड़ी प्रसाद बना रहा था। उसके पैर के ऊपर गर्म खिचड़ी गिर गई। यह बर्फ जैसा जल उसके जले हुए पैर पर डाला है, उसके जीवन की रक्षा की है अन्यथा वह मर जाता।

festival Janmastami

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वर्ष के अगस्त या सितम्बर महिने में, श्री कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी, भारत समेत अन्य देशों में मनाया जाता है। यह एक आध्यात्मिक उत्सव तथा हिंदुओं के आस्था का प्रतीक है। इस त्योहार को दो दिन मनाया जाता हैं। श्री कृष्ण के भजन कीर्तन और गीतों के माध्यम से उनका आचरण और कहानियां विश्व विख्यात हो गई है। इस कारणवश श्री कृष्ण के जन्म दिवस को उत्सव के रूप में विश्व भर में मनाया जाता है। यह सनातन धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, अतः इस दिवस पर अनेक लोगों द्वारा उपवास भी रखा जाता है। जन्माष्टमी  सत भक्ति करने से ही लाभ मिलेगा जैसे कि गीता जी में कहां है मनमाना करने से कोई लाभ नहीं इसी प्रकार तत्वदर्शी संत के बारे में लिखा है तो तत्व दर्शन संत रामपाल जी महाराज है अधिक जानकारी के लिए देखें साधना चैनल 7:30 से 8:30 तक #जन्माष्टमी -श्री कृष्णा जी पूर्ण परमात्मा नहीं हैं पूरण परमात्मा के बारे में बताया है कि जो तत्वदर्शी संत हो उसकी खोज करो जो जन्म और मरण से छुटकारा दिला सकता है वो तत्व दर्शीसंत रामपाल जी महाराज है  उन्ही की सरण शरण में जाने को कहा है श्र...