जगन्नाथ

जगन्नाथ का मंदिर समुद्र द्वारा बार बार नष्ट करने के कारण इन्द्रदमन राजा का खजाना खत्म हो गया था। अंतिम बार रानी के गहने बेचकर बेचकर मन्दिर का निर्माण किया। लेकिन परमात्मा कबीर जी ने ही समुद्र को मन्दिर तोड़ने से बचाया था।
जगन्नाथ का मंदिर हिन्दुस्तान का एक ही मन्दिर ऐसा है 
जिसमें प्रारम्भ से ही छुआ-छात नहीं रही है।

जगन्नाथ का मंदिर समुद्र द्वारा बार बार नष्ट कर दिया जाता था। परमात्मा कबीर जी ने ही समुद्र को मन्दिर तोड़ने से रोका था।

एक बार  कबीर परमेश्वर जी वीर सिंह बघेल के दरबार में चर्चा कर रहे थे। अचानक से परमात्मा ने खड़ा होकर अपने लोटे का जल अपने पैर के ऊपर डालना प्रारम्भ कर दिया। सिकंदर ने पूछा प्रभु! यह क्या किया, कारण बताईये। कबीर जी ने कहा कि पुरी में जगन्नाथ के मन्दिर में एक रामसहाय नाम का पाण्डा पुजारी है। वह भगवान का खिचड़ी प्रसाद बना रहा था। उसके पैर के ऊपर गर्म खिचड़ी गिर गई। यह बर्फ जैसा जल उसके जले हुए पैर पर डाला है, उसके जीवन की रक्षा की है अन्यथा वह मर जाता।

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