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Showing posts from June, 2020

रक्षाबन्धन

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रक्षाबन्धन एक हिन्दू व जैन त्योहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं।[1] रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है।रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। रक्षाबंधन के दिन बाजार मे कई सारे उपहार बिकते है, उपहार और नए कपड़े खरीदने के लिए बाज़ार मे लोगों की सुबह से शाम तक भीड होती है। घर मे मेहमानों का आना जाना रहता है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के...

जगन्नाथ

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जगन्नाथ का मंदिर समुद्र द्वारा बार बार नष्ट करने के कारण इन्द्रदमन राजा का खजाना खत्म हो गया था। अंतिम बार रानी के गहने बेचकर बेचकर मन्दिर का निर्माण किया। लेकिन परमात्मा कबीर जी ने ही समुद्र को मन्दिर तोड़ने से बचाया था। जगन्नाथ का मंदिर हिन्दुस्तान का एक ही मन्दिर ऐसा है  जिसमें प्रारम्भ से ही छुआ-छात नहीं रही है। जगन्नाथ का मंदिर समुद्र द्वारा बार बार नष्ट कर दिया जाता था। परमात्मा कबीर जी ने ही समुद्र को मन्दिर तोड़ने से रोका था। एक बार  कबीर परमेश्वर जी वीर सिंह बघेल के दरबार में चर्चा कर रहे थे। अचानक से परमात्मा ने खड़ा होकर अपने लोटे का जल अपने पैर के ऊपर डालना प्रारम्भ कर दिया। सिकंदर ने पूछा प्रभु! यह क्या किया, कारण बताईये। कबीर जी ने कहा कि पुरी में जगन्नाथ के मन्दिर में एक रामसहाय नाम का पाण्डा पुजारी है। वह भगवान का खिचड़ी प्रसाद बना रहा था। उसके पैर के ऊपर गर्म खिचड़ी गिर गई। यह बर्फ जैसा जल उसके जले हुए पैर पर डाला है, उसके जीवन की रक्षा की है अन्यथा वह मर जाता।

festival Janmastami

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वर्ष के अगस्त या सितम्बर महिने में, श्री कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी, भारत समेत अन्य देशों में मनाया जाता है। यह एक आध्यात्मिक उत्सव तथा हिंदुओं के आस्था का प्रतीक है। इस त्योहार को दो दिन मनाया जाता हैं। श्री कृष्ण के भजन कीर्तन और गीतों के माध्यम से उनका आचरण और कहानियां विश्व विख्यात हो गई है। इस कारणवश श्री कृष्ण के जन्म दिवस को उत्सव के रूप में विश्व भर में मनाया जाता है। यह सनातन धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, अतः इस दिवस पर अनेक लोगों द्वारा उपवास भी रखा जाता है। जन्माष्टमी  सत भक्ति करने से ही लाभ मिलेगा जैसे कि गीता जी में कहां है मनमाना करने से कोई लाभ नहीं इसी प्रकार तत्वदर्शी संत के बारे में लिखा है तो तत्व दर्शन संत रामपाल जी महाराज है अधिक जानकारी के लिए देखें साधना चैनल 7:30 से 8:30 तक #जन्माष्टमी -श्री कृष्णा जी पूर्ण परमात्मा नहीं हैं पूरण परमात्मा के बारे में बताया है कि जो तत्वदर्शी संत हो उसकी खोज करो जो जन्म और मरण से छुटकारा दिला सकता है वो तत्व दर्शीसंत रामपाल जी महाराज है  उन्ही की सरण शरण में जाने को कहा है श्र...

Hindu gods

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Lord Krishan

महात्मा बुद्ध

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 अगर आप उस पूर्णब्रह्म परमेश्वर के बारे में जानना चाहते हैं कि वह परमात्मा कौन है जो हमारे सभी पापों को काट सकता है महात्मा बुध भगवान नहीं है  एक ऐसी सच्चाई जो आपको नहीं पता जिसके बारे में आप नहीं जानते महात्मा बुध की कबीर परमात्मा के बालक थे क्योंकि वह भी पुण्य आत्मा थी अंधविश्वास के कारण यह संसार महात्मा बुध को भगवान मानने लगा जबकि भगवान तो कबीर है वेदों में भी प्रमाणित है महात्मा बुध का ज्ञान प्राप्त करने के लिए उनको पूर्ण गुरु प्राप्त करने के लिए देश विदेश में कहीं भी बुध धर्म को लेकर दौड़ने वाले जीवन को सतगुरु रामपाल जी महाराज का संदेश जरुर पढ़े और पूर्ण गुरु के बारे में बिल्कुल जाने और शरण में आए और अपना  मोक्ष कराएं  महात्मा बुद्ध को यथार्थ ज्ञान नहीं था बौद्ध धर्म को मनाते मनाते चीन नास्तिक हो गया आओ जाने उस परमात्मा के बारे में जो हमें सब सुखों की प्राप्ति करवा सकता है जानने के लिए देखें ईश्वर टीवी 8:30 बजे 

कबीर साहेब प्रकट दिवसदिवस

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शिशु कबीर परमेश्वर का नामांकन" जब कबीर साहेब का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ पुस्तक को काज़ी ने खोला। प्रथम नाम ‘‘कबीरन्’’ लिखा था। काजियों ने सोचा इस छोटे जाति वाले का कबीर नाम रखना शोभा नहीं देगा। पुनः कुरान शरीफ खोली तो उसमें सर्व अक्षर कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले मैं कबीर अल्लाह अर्थात् अल्लाहु अकबर, हूँ। मेरा नाम ‘‘कबीर’’ ही रखो। सकल कुरान कबीर है, हरफ लिखे जो लेख। काशी के काजी कहै, गई दीन की टेक।।